Tuesday, 26 January 2016

एक सैनिक ने क्या खूब कहा है 

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किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ के आया हूँ...

मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़  के आया हूँ.....

मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,

में अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़  के आया हूँ....

 जय हिन्द  गणतंत्र दिवस पर समस्त देशवासी और मित्रो को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

!!  जय हिन्द जय भारत  !!

       वन्देमातरम्

Sunday, 24 January 2016

"कर्म की गति"


एक कारोबारी सेठ सुबह सुबह जल्दबाजी में घर से बाहर निकल कर ऑफिस जाने के लिए कार का दरवाजा खोल कर जैसे ही बैठने जाता है, 
उसका पाँव गाड़ी के नीचे बैठे कुत्ते 
 की पूँछ पर पड़ जाता है। 
 दर्द से बिलबिलाकर अचानक हुए इस वार को घात समझ वह कुत्ता उसे जोर से काट खाता है। 

गुस्से में आकर सेठ आसपास पड़े 10-12 पत्थर कुत्ते की ओर फेंक मारता है पर भाग्य से एक भी पत्थर उसे नहीं लगता है और वह कुत्ता भाग जाता है। 

जैसे तैसे सेठजी अपना इलाज करवाकर 
 ऑफिस पहुँचते हैं जहां उन्होंने अपने 
 मातहत मैनेजर्स की बैठक बुलाई होती है। 
 यहाँ अनचाहे ही कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे प्रबन्धकों पर उतर जाता है। 
 वे प्रबन्धक भी मीटिंग से बाहर आते ही 
 एक दूसरे पर भड़क जाते हैं - 
बॉस ने बगैर किसी वाजिब कारण के डांट जो दिया था। 

अब दिन भर वे लोग ऑफिस में अपने 
 नीचे काम करने वालों पर अपनी खीज निकलते हैं – 
ऐसे करते करते आखिरकार सभी का 
 गुस्सा अंत में ऑफिस के चपरासी पर निकलता है 
 जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए 
 भुनभुनाते हुए घर चला जाता है। 
 घंटी की आवाज़ सुन कर उसकी 
 पत्नी दरवाजा खोलती है और 
 हमेशा की तरह पूछती है 
“आज फिर देर हो गई आने में.............”

वो लगभग चीखते हुए कहता है 
“मै क्या ऑफिस कंचे खेलने जाता हूँ ? 
काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा, 
पहले से ही पका हुआ हूँ, 
चलो खाना परोसो” 

अब गुस्सा होने की बारी पत्नी की थी, 
रसोई मे काम करते वक़्त बीच बीच में 
 आने पर वह पति का गुस्सा 
 अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे 
 जमा के तीन चार थप्पड़ रसीद कर देती है।

अब बिचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ, 
घर का ऐसा बिगड़ा माहौल देख, 
बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर 
 वह रोते रोते बाहर का रुख करता है, 
एक पत्थर उठाता है और 
 सामने जा रहे कुत्ते को पूरी 
 ताकत से दे मारता है। 

कुत्ता फिर बिलबिलाता है .........................

दोस्तों ये वही सुबह वाला कुत्ता था !!! 
अरे भई उसको उसके काटे के बदले ये 
 पत्थर तो पड़ना ही था 
 केवल समय का फेर था और सेठ जी 
 की जगह इस बच्चे से पड़ना था !!! 
उसका कार्मिक चक्र तो पूरा होना ही था ना !!!

इसलिए मित्र यदि कोई आपको काट खाये, 
चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ, 
तो निश्चिंत रहें, 
उसे चोट तो लग के ही रहेगी, 
बिलकुल लगेगी, 
जो आपको चोट पहुंचाएगा, 
उस का तो चोटिल होना निश्चित ही है, 

कब होगा 
 किसके हाथों होगा 
 ये केवल ऊपरवाला जानता है 
 पर होगा ज़रूर ,

भगवान 

 
एक ट्रक में मारबल का सामान जा रहा था,  उसमे टाईल्स भी थी , और भगवान की मूर्ती भी थी ...!!

रास्ते में टाईल्स ने मूर्ती से पूछा ..

भाई ऊपर वाले ने हमारे साथ ऐसा भेद - भाव क्यों किया है ...!!

मूर्ती ने पूछा कैसा भेद भाव...  ???

टाईल्स ने कहा तुम भी पथ्थर मै भी पथतर ..!!
तुम भी उसी खान से निकले , मै भी..

तुम्हे भी उसी ने ख़रीदा बेचा , मुझे भी
तुम भी मन्दिर में जाओगे, मै भी ...

पर वहां तुम्हारी पूजा होगी ...
और मै पैरो तले रौंदा जाउंगा ऐसा क्यों??

मूर्ती ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया,

जब तुम्हे तराशा गया ,
तब तुमसे दर्द सहन नही हुवा ,
और तुम टूट गये टुकड़ो में बंट गये ...

और मुझे जब तराशा गया तब मैने दर्द सहा , मुझ पर लाखो हथोड़े बरसाये गये , मै रोया नही...!!

मेरी आँख बनी , कान बने , हाथ बना, पांव बने ..
फिर भी मैं टूटा नही ....  !!

इस तरहा मेरा रूप निखर गया ...
और मै पूजनीय हो गया ... !!

तुम भी दर्द सहते तो तुम भी पूजे जाते..

मगर तुम टूट गए ...
और टूटने वाले हमेशा पैरों तले रोंदे जाते है...  !!


भगवान जब आपको तराश रहे हो तो, टूट मत जाना ...
हिम्मत मत हारना ... !!
अपनी रफ़्तार से आगे बढते जाना मंजिल जरूर मिलेगी .... !!

Change Yourself 


एक नगर में एक राजा रहता था| राजा जब भी महल से बाहर जाता, हमेशा अपने घोड़े पर ही जाता था| एक बार वह अपने नगर को देखने एंव जनता की समस्याओं को सुनने के लिए पैदल ही भ्रमण पर निकला| उस समय जूते नहीं होते थे इसलिए जमींन पर कंकड़ और पत्थरों के कारण राजा के पैर दुखने लगे| राजा ने इस समस्या के हल के लिए अपने मंत्रियों की एक बैठक बुलाई|

ज्यादातर मंत्रियों का यही सुझाव था कि क्यों न पूरे नगर के रास्ते को चमड़े की मोटी परत से ढक दिया जाए|

लेकिन इसके लिए बहुत सारे धन एंव अन्य संसाधनों की जरूरत थी|

तभी राजा के पास खड़े एक सिपाही ने सुझाव दिया कि पूरे नगर को चमड़े की परत से ढकने से अच्छा यह है कि क्यों न हम अपने पैरों को ही चमड़े की परत से ढक दें| इससे न केवल हमारे पैर सुरक्षित रहेंगे बल्कि ज्यादा धन भी खर्च नहीं होगा|

सिपाही का सुझाव सुनकर राजा प्रसन्न हुआ और उसने सभी के लिए “जूते” बनवाने का आदेश दिया|

Moral of the Hindi Story

Change Yourself – “खुद में वो बदलाव कीजिए जो आप इस संसार में देखना चाहते है|”

 'सफल जीवन'

 
एक बेटे ने पिता से पूछा - पापा ये 'सफल जीवन' क्या होता है ?

पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए।  
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था...

थोड़ी देर बाद बेटा बोला,
पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !!  ये और ऊपर चली जाएगी...

पिता ने धागा तोड़ दिया ..

पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...

तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया...

बेटा.. 
'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. 
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं
  जैसे :
            घर,
          परिवार, 
        अनुशासन,
        माता-पिता,
         गुरू आदि
और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...

वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो  बिन धागे की पतंग का हुआ...'

"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.."

" धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन' कहते हैं  "